Blogspot - monali-feelingsfromheart.blogspot.com - मन के झरोखे से...

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संगमरमरी देह पर कोयले घिसने के दिन.. 2 May 2013 | 07:38 pm

सफ़ेदी मानो कालिमा से ढंकती जा रही है. हर ओर शुभ्रता पर हौले-हौले कालिख फैलायी जा रही है... किसी गहरी साज़िश के तहत. कहीं बडी गहरी, बेहद भीतरी तहों से शुरु हुआ था ये सब... पहले-पहल मन मैला हुआ था. अगर ...

"आवाज़ों के शहर वाला दोस्त" 24 Apr 2013 | 11:04 am

मेरा और उसका आवाज़ भर का रिश्ता था और मैं उसे "आवाज़ों के शहर वाला दोस्त" कहती थी. उसका और मेरा रिश्ता जिस दुनिया में बनता और पनपता था, वो दुनिया रात के अंधेरों में ही उजली होती थी. रातों.. खासकर सूनी ...

हमारी नई दोस्ती को हमेशा याद रखने के लिये... 19 Feb 2013 | 09:32 am

घर लौटते हुये वो दो बच्चियां रोज़ वहीं बैठी दिखती हैं... बडी शायद ९-१० साल की होगी और छोटी ४-५ साल की, मां बाप शायद आस-पास बन रही किसी इमारत में मजदूरी करते हैं. शुरु-शुरु में मैं उन्हें देख कर मुस्कुर...

काश! मैं लगा सकती आग उन सारे काग़ज़ों पर.. 31 Dec 2012 | 02:01 pm

सोचती हूं.. ज़ाया ही गई वो सारी स्याही जिससे मैंने या किसी ने भी लिखी नारी की व्यथा, दशा या सम्मान की कथा.. इससे तो बेहतर ये होता कि, वो सारी स्याही बिखर जाती इतिहास, समाजशास्त्र की तमाम किताबों पर जो ...

कई डरों को बेखौफ़ छोड कर.. मर गई तो अच्छा हुआ!! 31 Dec 2012 | 01:24 pm

श्श्श्श... चुप रहो... मौन धरो... घोर दुःख की घडी है.. आज "पहली बार" मेरे देश में, एक लडकी बलात्कार के बाद मरी है. वरना हम बलात्कारियों को मौका ही कहां देते हैं! कोख से ज़्यादा सुरक्षित जगह क्या होगी? ...

एक लडकी ही तो मरी है... :-/ 29 Dec 2012 | 01:08 pm

एक लडकी ही तो मरी है... मैंने खोल दी हैं घर की तमाम खिडकियां, बिछा दी है गुलाबी फूलों वाली नई चादर, टी.वी. पर set कर दिया है reminder नये साल पर आने वाले नय program के लिये. ओह्! नये साल का resoluti...

कसम पुराण 8 Dec 2012 | 10:29 am

By God की कसम हद हो गई. किसी इज़्ज़तदार शख़्स की बेज्जती की जाये तो समझ भी आता है मगर.. हमारी बेज्जती... हमारी??? और अकेले बेज्जती हो तो जाने भी दिआ जाये कि हम कौन सा इज्जत हथेली पे लिये फिरते हैं.. लेक...

रिश्ता अंधेरों का... रिश्ता आवाज़ों का... 4 Nov 2012 | 09:08 am

वो आज जा रहा है.. दूर... मुझसे दूर, जाने किसी के पास या सबसे दूर! अब उसे परेशान करना चाह कर भी मैं उस तक नहीं पहुंच पाऊंगी. उसकी आवाज़ की ताजगी शायद अब लम्बे अरसे तक नसीब ना हो. बासी पुरानी आवाज़ से का...

तुम्हें क्यूं लगता है कि मैं बडी हो गई हूं? 18 Oct 2012 | 09:41 am

उसे हर बात, मेरा हर राज़ बिना कहे मालूम हो जाता मगर वो मेरी सबसे अच्छी सहेली नहीं थी क्योंकि सहेलियां ढूंढी और बनाई जा सकती हैं. वो मेरी ख्वाहिशें, मेरे ख्वाब पूरे करना जानती थी मगर वो कभी भगवान नहीं ब...

किस्सा एक दम सच्चा है... 3 Oct 2012 | 08:32 am

अजनबी... नितान्त अजनबी. शहर, घर, लोग, यहां तक कि लोगों के नाम भी अजनबी. वो एक अलग दुनिया की लडकी थी.. और एक रोज़ उसकी दुनिया में एक मुसाफिर आया. उन दोनों की दुनिया अलग होने के बावज़ूद लडकी के मन की डोर...

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