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तुम मूरत मैं दीया बाती 17 Aug 2013 | 10:02 am

पत्थर ही हो न तुम….. जिसके आगे दीये में एक लौ लिए जलती रही ... हर पल तुम्हारे लिए रौशनी, जीवन गर्माहट को समेटे खुद को अर्पित करती रही अपनी ऊर्जा के साथ तिल तिल अंतिम बूंदों तक ....... ...

अधूरी स्वीकृति 1 Aug 2013 | 05:24 pm

अधूरी स्वीकृति ************ खिलता क्यों है फूल टूट जाने के लिए पंखुड़ी पंखुड़ी बिखर जाने के लिए रह जाते है शेष कुछ कांटे कुछ ठूंठ एक विराम की तरह| कि जिससे पहले की गाथा एक कोमल युग की कहानी थी और जिसक...

फिर कहीं किसी रोज 26 Jul 2013 | 06:48 pm

कभी जाती थी आ जाने के लिए तो कभी आती हूँ जाने के लिए ... यही तो जीवन है .. जिंदगी की रवायत है, रवानगी इसी में है ... छिपी है जिसमें आने की ख़ुशी तो जाने का गम भी है ... बेसाख्ता मुस्कुरा जाओ ग...

समुन्दर किनारे, एक अनजाना 16 Jul 2013 | 09:46 pm

नारियल के पेड़ के नीचे समुद्री रेत पर घोंघों संग बीन रही थी कुछ शंख आकार और कभी कभी ले लेती थी कोई क्लिक जब सूरज की रौशनी मे सागर सी अथाह भारी आवाज में वह मछुवारा बोला न खींचो तस्वीर मेरी आ.....

खुद से दूर - डॉ नूतन गैरोला 10 Jul 2013 | 02:37 pm

तुम यकीन नहीं करोगे सच मेरी दौड है खुद से मैं खुद से जीत जाना चाहती हूँ मैं यकीनन अपनी पहचान बचाना चाहती हूँ तुम हो कि मेरे खुद में अतिक्रमण कर चुके हो व्याप्त हो चुके हो मुझमे जैसे कोई दैत्य...

मन देशी परदेश से 29 Jun 2013 | 02:20 pm

शायद मैं अपना सब कुछ बचा जाना चाहती थी तुमसे दूर कूच कर जाना चाहती थी ..... पेड़ पहाड़ झरने गाँव खेत खलिहान रहट छाँव सबसे दूर कहीं दूर मेहराब वाली घनी आबादियों में .. इसलिए मैंने सांकलों में जड़ द...

तुम्हें याद न करूँ तो बेहतर 28 Jun 2013 | 12:18 pm

उत्तराखंड में अपने पीडितों के दर्द को देख दिल रो उठता है बार बार ------------------------------------------------------------------------------------ तुम्हें याद न करूँ तो बेहतर .... मेरी परछाइया...

पगड़ी और प्रेम 23 Jun 2013 | 07:46 am

हम लिखेंगे प्रेम द्वार पर स्वागत गीत की तरह पत्थरों मे भित्तिचित्र की तरह दीवारों पर रौशनाई की तरह हवाओं में महकती खुश्बू की तरह छत पर छाया की तरह देह पर प्राण की तरह तब खिड़कियाँ होंगी बं...

मुझे मेरी पहचना चाहिए - 10 Jun 2013 | 10:16 pm

“और मुजरा चलता रहा” मेरी लिखी एक कहानी से …. शहर की बस्ती में जब झिलमिलाने लगती है लाल बत्तियां छन से घुंघुरू गीत गाते हैं तेरे लिए ... रातों की स्याही से लिख देती हूँ चांदनी के उजालो में कुछ ...

तेरा मेरा होना - डॉ नूतन गैरोला 3 Jun 2013 | 09:55 am

तेरा मेरा होना जैसे न होना एक सदी का वक्त के परतों के भीतर एक इतिहास दबा सा | जैसे पत्थरों के बर्तनों मे अधपका हुआ सा खाना और गुफा मे एक चूल्हा और चूल्हे में आग का होना | तेरा मेरा होना जैसे खंडहर की ...

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"adita lakhera"

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