Blogspot - girishpankajkevyangya.blogspot.com - गिरीश पंकज के व्यंग्य

Latest News:

गरीबी एक मानसिकता है 20 Aug 2013 | 05:04 pm

अभी-अभी हमें ज्ञात हुआ है कि गरीबी और कुछ नहीं, एक मानसिकता है. जैसे मन चंगा हो तो कठौती में गंगा उतर आती है, उसी तरह मन अच्छा हो तो गरीबी गरीबी नही, अमीरी लगने लगती है।  आजकल हमारे अनेक  नेता प्रवचन ...

भेडिये के कार्टून.. 23 May 2012 | 01:17 am

भेडिये के कार्टून.. गिरीश पंकज कुछ नेता नहा-धो कर कार्टूनिस्टों के पीछे पड़ गए थे. वे बेचारे कार्टून बनाना चाहते हैं. यह उनकी आदत है मगर  नेता चाहते हैं, कार्टून न बनाए जाएँ. कार्टूनिस्टों पर हमले हो ....

'ऑफ दि रिकार्ड' की जय हो ... 17 Mar 2011 | 02:03 am

दूसरे को गाली दे दो, फिर कहो - 'यह ऑफ दि रिकार्ड है।' नेताओं का तकिया कलाम है - 'ऑफ दि रिकार्ड'। मन की भड़ास निकाल कर उस पर 'ऑफ दि रिकार्ड' चस्पा कर दो। एक नेताजी पत्रकारों से गुफ्तगू कर रहे थे। जब भ....

अच्छा आदमी है बेचारा..... 5 Mar 2011 | 06:52 pm

नईदुनिया के २ मार्च के अंक में प्रकाशित व्यंग्य..

मजबूरी का नाम...? 27 Feb 2011 | 07:00 pm

लपेटनराम ने कहा-'' मै बहुत मजबूर हूँ''. इतना सुनना था, कि समेटनराम बोल पडा-''अरे मतलब तुम्हारा फ्यूचर ब्राईट है? तुम इस देश के प्रधानमंत्री भी बन सकते हो''. लपेटनराम चौंका-''तो क्या जो मजबूर होता .....

चुल्लू भर पानी तो मुहैया हो 13 Feb 2011 | 06:54 pm

लोग संकट को भी संगीत की स्वर लहरियों के साथ जी लेते हैं। घरेलू परेशानियाँ होती हैं तो गा लेते हैं - ''राही मनवा दुख की चिंता क्यों सताती है, दुख तो अपना साथी है।''  और उसके बाद ''दुख भरे दिन बीते रे भ...

मिस्टर मनमोहन, उफ् ये आम आदमी भी न..? 10 Feb 2011 | 01:13 am

''उफ् ये आम आदमी भी न..? मिस्टर मनमोहन, व्हॉट डू यू थिंक अबाउट दिस डर्टी कॉमन मेन?'' संसद के गलियारे में श्रीमान्  ''क'' ने अपनी बात शुरू की, ''जिसे देखो, इन दिनों महंगाई को रो रहा है। हम यहाँ ग्लोबल ...

खाकी वर्दीवाले और जनता भगवान भरोसे 6 Feb 2011 | 02:23 am

अजब देश की एक कथा है। उस देश की जनता गुंडे-बदमाशों से दुखी थी। उन्होंने ईश्वर को पुकारा। ईश्वर प्रकट हुए। पूछा- ''क्या चाहिए भक्तो।' जनता बोली - ''हमें गुंडे-बदमाशों से बचाओ। ये लोग हमें परेशान करते ह...

व्यंग्य / पुलिसिया डंडे का नागरिक अभिनन्दन 4 Feb 2011 | 06:32 pm

नईदुनिया, रायपुर के ४-२-२०११ में प्रकाशित व्यंग्य सादर अवलोकनार्थ.........

योगा यानी नया आइटम साँग 3 Feb 2011 | 04:04 am

पहले सड़कों पर तमाशा दिखाने वाले मदारियों का ड्रेस कोड नहीं होता था। अब वे समझदार हो गए हैं। आजकल वे भगवा ड्रेस में नज़र आते हैं। उस दिन शहर में एक हाइटेक मदारी आया। वह भगवा ड्रेस पहने हुए था। मदारी न...

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