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कहानी के इस भाग के प्रायोजक कौन है ? 31 Oct 2011 | 04:10 pm

मैं कहानी में पूरी तरह से डूबा हुआ था.. या यू कह लीजिये कि मुझे तैरना आता ही नहीं था.. एक छोटे से लकड़ी के तख्ते से लटका हुआ मैं आधा डूबा और आधा बचा हुआ सा लग रहा था.. लग क्या रहा था मैं बचा हुआ ही था...

कमेन्ट से मोडरेशन हटा दिया है गुरुवर.. आओ ना..!!! 24 Aug 2011 | 09:36 pm

कमेन्ट से मोडरेशन हटा दिया है गुरुवर.. आओ ना..!!!

कमेन्ट से मोडरेशन हटा दिया है गुरुवर.. आओ ना..!!! 24 Aug 2011 | 05:36 pm

कमेन्ट से मोडरेशन हटा दिया है गुरुवर.. आओ ना..!!!

कहानी शीला, मुन्नी, रज़िया और शालू की 29 Jun 2011 | 08:49 pm

बात ये है बॉस कि लेखक से किसी ने कहा कि आमिर खान इतने ईमानदार है कि अपनी फिल्म 'देहली बेली' को खुद ही 'ए' सर्टिफिकेट दिलवाने की सिफारिश किये रहे,  लेकिन लेकिन लेकिन.. हम आपको ये भी बता दे कि लेखक ने भ...

सुगर क्यूब पिक्चर्स प्रजेंट्स "सिक्का" 31 Mar 2011 | 08:30 pm

उसे शौक था मरने का और मरके अमर होने का.. लोगो की यादो में.. तख्तियो पे नाम चाहता था.. स्कूलों अस्पतालों पर अपना नाम चाहता था.. यू चाहता तो वो ये भी था कि गली सड़क नहरों बांधो के नाम भी उसके नाम पर रख ...

सुगर क्यूब पिक्चर्स प्रजेंट्स "सिक्का" 31 Mar 2011 | 04:30 pm

उसे शौक था मरने का और मरके अमर होने का.. लोगो की यादो में.. तख्तियो पे नाम चाहता था.. स्कूलों अस्पतालों पर अपना नाम चाहता था.. यू चाहता तो वो ये भी था कि गली सड़क नहरों बांधो के नाम भी उसके नाम पर रख ...

प्यार को प्यार ही रहने दो.. कोई नाम ना दो... 15 Feb 2011 | 08:48 am

उसका ये कहना कि गुलज़ार ने जो लिखा है उसके बाद प्यार का डेफिनेशन ही ख़त्म हो जाता है.. मुझे ठीक तभी याद आता है खामोशी का वो गीत.. हमने देखी है उन आँखों की महकती खुशबू.. वो कहती है.. तुम खुद ही देखो ....

ज़िन्दगी में और भी रंग है खुदको रंगने के लिए.. 31 Jan 2011 | 07:24 am

 बीन बैग में अगर जुबान होती तो वो ज़रूर कहता कि इस बैडोल हो चुके शरीर को अब उठा क्यों नहीं लेती.. लेकिन ये भी खामोश है.. शाम उर्दू की एक किताब पढ़ते हुए मैं इस पर आ बैठी थी.. अभी रात के दो बजे जब दोबा...

पिछले सन्डे ही तो पहला पिम्पल फूटा है.. 7 Dec 2010 | 01:21 am

पतले चक्कों वाली सायकिल पर पैंडल मारते मारते शहर के दुसरे कोने में आ गए.. अब बस्ते रख दिए है पेड़ से सटाकर.. और मोजो को जूतों में खिसका दिया है.. कोहनी का तकिया बनाकर. लेट गए है मिट्टी में औ...

पिछले सन्डे ही तो पहला पिम्पल फूटा है.. 6 Dec 2010 | 08:21 pm

पतले चक्कों वाली सायकिल पर पैंडल मारते मारते शहर के दुसरे कोने में आ गए.. अब बस्ते रख दिए है पेड़ से सटाकर.. और मोजो को जूतों में खिसका दिया है.. कोहनी का तकिया बनाकर. लेट गए है मिट्टी में औ...

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ग्रिल सेंडविच, विला खरीदने वाले को मिली जान से मरने की धमकी, दर्ज जब तेरा पास होता है

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