Blogspot - manjula-k.blogspot.com - खुद को खोजने का एक सफ़र

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श्री राजीव दीक्षित , 10 Oct 2012 | 11:33 am

 मैंने राजीव भाई का व्याख्यान सुना बल्कि रोज़ सुन रही हूँ  ,बहुत सी जानकारी मिली  व जीवन को खुद से ऊपर उठकर देखने की चाहत तो थी पर कोई रास्ता कभी नही मिला जो मेरे जैसे आम इंसान के लिए सहज हो .. राजीव ...

Untitled 28 Sep 2012 | 04:49 pm

 (चित्र गूगल से साभार) दिशा हीन सा , महसूस करना खुद को ये अहसास ,झकझोर जाता है भीतर तक पर लगता है अब परिस्तितियाँ मेरे बस मे नही अतः छोड़ दिया है खुद को , स्वाभाविक बहाव के सहारे बहने को महसूस करना है...

स्वप्न जो सच सा है 1 May 2012 | 06:16 pm

कशमकश बहुत है मन के अन्दर खोज खुद की इतनी  आसन तो नहीं इस कोशिश मे लगता है कुछ छुट सा रहा है जिसको शायद मै जाने नहीं दे सकती प्रश्नचिंह सा लगा देता है मन बहुत सी कोशिशो  को बहुत मजबूती से जमे संस्कार ...

Untitled 2 Dec 2011 | 07:32 pm

ए हवा तू किस  शहर से आती है ? क्यों तेरी हर लहर से उसकी महक आती है . सबकुछ महफूज़ करने की मेरी तमाम  कोशिशे , उस एक झोंके से फिर से बिखर  जाती है . मेरी खुशनुमा जिंदगी सिहर उठती है उस पल, जब तेरे...

Untitled 1 Jul 2011 | 12:02 am

दर्पण विश्वास का चूर हुआ जब                                                                      आहात हुआ म...

एक संकल्प इस होली मे .... 18 Mar 2011 | 07:52 pm

फीकी पड़ चुकी है मन की चादर सोचा इस होली मे कुछ नए रंग भरू हरे नीले लाल के संग कोमल गुलाबी रंग भी भरू कोशिश की पर कुछ हो न पाया कोई भी रंग चढ़ न पाया कारण खोजा तो जाना आस पास फैले भ्रस्ट्राचार ,अ...

मेरा घर मेरे लोग ... 24 Dec 2010 | 07:55 pm

आज कुछ लिखने का मन हुआ ,अभी कुछ दिनों से मै अपने दादाजी के घर गयी हुई थी जोकि पटना से कोई 20  किलोमीटर की दुरी पर है ,असल मे मेरे चाचाजी के बेटे की शादी थी ,मेरे पिताजी भेल भोपाल मे जॉब के चलते भोपाल ...

मेरे हिस्से का सूरज .. 30 Nov 2010 | 08:18 pm

तुमसे मिलना , एक अजीब इतफाक था अँधेरे मे गूम होते मेरे अस्तित्व को एक सूरज तुमने दिया था जिसकी रौशनी मे मैंने खुद को जाना जीवन ख़तम नहीं हुआ इस बात को भी पहचाना अजीब मंज़र था वो भी अपना हाल किसी को भी...

तेरे साथ का वादा 24 Nov 2010 | 06:19 pm

तुम बिन जीवन मे एक अजीब सी कमी है . जैसे खुशबू ही न हो जीवन मे  , भले ही वो फूल सी खिली है . तुम जो साथ होते हो , अजब चमत्कार होता है . मंजिल तक जाकर लगता है ऐसा, जैसे मै नहीं मंजिल मेरे पास त....

ये जिन्दगी एक इम्तिहान 29 Oct 2010 | 05:48 pm

नर्म मुलायम सी खुबसूरत सी दिखती है जिन्दगी, भीतर गर्म लावे सी पिघलती है पल पल ये जिंदगी , मौहौल है मैला मैला सा हर इंसान है भटका भटका सा, किस से  क्या उम्मीद करूँ हर तरफ है मायूसी , हर चेहरे ....

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