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प्रभात "परवाना" 29 Jul 2013 | 01:50 pm

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प्रभात परवाना का वृद्ध आश्रम में कार्यक्रम 23 Jul 2013 | 03:39 pm

माता पिता या यूँ कहिये कि ईश्वर का दूसरा रूप, अपना पूरा जोर लगा देते है अपनी औलादों को इस काबिल बनाने के लिए की वे अपनी जिन्दगी ख़ुशी से बिता सके, लेकिन उन्ही में से कुछ औलादे जब बड़ी हो जाती है तो उन...

एहसान लेना गवारा नहीं लगता..... 8 Jul 2013 | 10:17 pm

बच्चो के भूखे पेट को, पहचान लेता है, पिता एक रोटी हिस्सों में, बाँट देता है, माँ बीमार, चून ख़तम, लकडियाँ गीली, आज फिर नहीं जलूँगा, चूल्हा भांप लेता है ..... एहसान लेना ज़मीर को, गवारा नहीं लगता मुफल...

राजस्थान के मदर टेरेसा कालेज में कार्यक्रम.... 8 Jul 2013 | 12:31 pm

मित्रो कुछ समय पहले राजस्थान के मदर टेरेसा कालेज में एक कार्यक्रम के आयोजन पर प्रस्तुति करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ , कार्यक्रम पूरी तरह सफल रहा , वहाँ के बच्चो ने कार्यक्रम को सफल बनाने में पूरा साथ ...

श्यामलाल कॉलेज में हास्य कार्यक्रम .... 2 Jul 2013 | 07:35 pm

मित्रो आपके स्नेह और प्यार को शब्दों में बाँध पाना बहुत मुश्किल है , इस समाज से उम्मीद से ज्यादा प्यार मिला है , सभी का दिल से आभार ...... अभी कुछ दिन पहले दिल्ली विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम का आयो...

आईने काले हो गए 1 Jul 2013 | 09:55 pm

सच्चाई के आईने, काले हो गए, बुझदिलो के घर में, उजाले हो गए, झूठ बाज़ार में, बेख़ौफ़ बिकता रहा, मैंने सच कहा तो, जान के लाले हो गए..... लहू बेच बेच कर, जिसने, औलादे पाली, भूखा सो गया, जब बच्चे कमाने व...

सहमी-सहमी.... 6 Jun 2013 | 10:32 pm

हैवान बन गया है, इंसान इस कदर इंसानियत नज़र आती है, सहमी-सहमी, सन्नाटो से पूछिए, उस रात का मंजर, हर चीख नज़र आती है, सहमी-सहमी, निकल पड़े है लोग, बेख़ौफ़ से बनकर पर भीड़ नज़र आती है, सहमी-सहमी, गवा...

अपनी अलग पहचान रखते हैं..... 18 May 2013 | 12:51 am

दिल में ग़म, लबो पे मुस्कान रखते हैं, भीड़ में अपनी ,अलग पहचान रखते हैं, हमारी मुफलिसी खुद्दारी को, मार नहीं सकती, उन्हें बता दो, शौक-ए गुलाम रखते है ..... नए शहर के नए उसूल, समझ नहीं आते, खामोश रहते...

मैकदा बचा लिया .... 15 May 2013 | 03:30 am

आप ही कीजिये, मंदिर मस्जिद में सजदा हमने मैकदे के पास ही, घर बना लिया ..... औरो से कुछ हटकर, उसूल है हमारा, जहा मैकदा देखा, वही सर झुका लिया ..... मरीज-ए-इश्क- ने, क्या खूब मर्ज निकाला हुस्न को छोड़...

मुझे मैखाने की आदत नहीं 4 May 2013 | 10:59 pm

हर साक़ी, हर पैमाने को है, ये ख़बर, ज़माने को है, मुझे मैखाने की आदत नहीं, मेरी आदत, मैख़ाने को है ..... शेख जी आज बिन पिए ही चले गए, लगता है कोई तूफां  आने को है ..... बस्ती जलाकर जिसने महल बनाया ह...

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