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दर दर तुमको भटकायेंगे 14 Aug 2013 | 12:06 pm

तुम सरहद की बात करो वो संसद में चिल्लायेंगे तुम प्याज के आंसू रोओगे वो मस्त बिरयानी खायेंगे तुम केदारनाथ में बिलखोगे वो दिल्ली में जश्न मनाएंगे तुम आज़ादी की बात करो तुम पर लाठी बरसाएंगे वो चार...

देवभूमि का चीत्कार 9 Jul 2013 | 12:09 pm

बादलों की मंडी थी पानियों का सौदा था सैलाब के क़दमों ने फिर ज़मीं को रौंदा था हवा बहुत रूठी थी डालियों से झगडा था नदियों के धारों को किनारों ने पकड़ा था सब्र उसका छूटा जो बिफर के निकल गई उफनती ...

मुस्कुरा दो यार 28 Jun 2013 | 11:22 am

इन आफतों को भुला दो यार इस हालत में मुस्कुरा दो यार दुनिया चाहती है मायूस देखना तुम ज़रा खिलखिला दो यार सर पर सवार है फतूर बनके हिलाकर गर्दन गिरा दो यार अकड़ है आसमान सी जिनकी धूल  उनको चटा दो यार कमज़ोर...

रेनी डे .... 15 Jun 2013 | 01:21 pm

सोचकर बैठे थे इस बार बारिश का ना इंतज़ार करेंगे ना बारिश को याद करेंगे ..पर कमबख्त दिल है जो बार बार बादलों के साथ उड़ चलता है और बचपन सामने आकर खडा हो जाता है कैसे दूर रहेगी इस चौमासे की दीवानगी से नही...

संभव है तम उस पार नहीं 7 Jun 2013 | 10:13 am

वो चमन के खात्मे की साजिश थी,चमन में ज़िन्दगी नागवार थी उनको ,चाहते थे मुस्कुराहटें बंद हो जाएँ और चमन में सिर्फ अफ़सोस का मौहोल रहे , और चेहरे पर सफ़ेद मातम लपेटे परिंदे , आँखों में लहू लिए एक दुसरे को ...

बवाल है बवाल है ! 21 May 2013 | 12:31 pm

बवाल है बवाल है बड़ा अजब हाल है लापता से तंत्र में ये कौम बेहाल है पटरी से उतर गई मालामाल कर गई मामा की रेल है भांजा निहाल है राष्ट्र के गले पड़े राष्ट्रीय दामाद है मौन है सारे देवता खुजली है खाज...

काबुलीवाले ! अब मत आना 23 Apr 2013 | 12:57 pm

मैंने कभी नहीं सोचा था मैं ये रचनाएँ पोस्ट करुँगी, जिन मासूम चेहरों पर सिर्फ बेफिक्री होनी चाहिए उनके साथ हर जगह वेहशीपन हो रहा है,चाहें अपने हो या पराये, घरों में अनाथालयों में सब जगह वही हाल है, इस ...

अगली बहार तक ... 1 Apr 2013 | 06:08 pm

बड़ी बड़ी इमारतों से गुज़रते हुए ...गमलों में मुहं उठाये नन्हे पौधे अक्सर रास्ता रोक लेते है ..मनो कह रहे हो पनपने के लिए पूरी ज़मीन नहीं थोड़ी मिटटी की दरकार है ...हां अगर और बढ़ना  है तो अपनी ज़मीन खुद  पा...

बेवजह 28 Mar 2013 | 03:17 pm

जिरह-ए-जुल्फ में उलझा हुआ हूँ बेवजह शानो पर बिखरा हुआ हूँ पास होकर भी दूरियां मीलों की हूँ अश्क़, आँख से फिसला हुआ हूँ अधूरी ग़ज़ल का मिसरा हुआ हूँ कहीं ख़याल में अटका हुआ हूँ किस लम्हा मुकम्मल हो जाऊं ह...

होली है 26 Mar 2013 | 10:36 am

काका बौराते फिरे काले करके बाल कोई नवयौवना रंग दे अबके साल बत्तीसी सेट किये काकी रही मुसकाय फागुन सजी फुहार देवर नाही आय ससुराल साली बसे वे जीजा मालामाल पास पडोसी ताक रहे दिल में बड़ा मलाल फ़गुआये ...

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कहानियाँ, गर्म, हनुमान जयंती, होली

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