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गज़ल 23 Jul 2012 | 11:21 am

आजकल जी. मेल मे पता नही क्या प्राबलम आ गयी है। सिर्फ 4-5 मेल ही दिखाता है । कर्सर आगे जाता ही नही न ही मेल भेजी जा रही है। एक साइबर कैफे वाले से पूछा वो कहता है कि पीछे से ही ये प्राबलम ुसके कैफे मे भ...

gazal 2 Jul 2012 | 11:26 am

सब से अपने गम छुपाते ज़िन्दगी की शाम में चुपके से आँसू बहाते ज़िन्दगी की शाम में दोष किसका है जो बदतर जिंदगी है मौत से वक्त का मातम मनाते ज़िन्दगी की शाम में ख्वाब सारे टूट जायें, साथ छोड़े जिस्म भी ...

गज़ल 14 May 2012 | 04:20 pm

गज़ल हाज़िर जी कह कर फिर गैर हाज़िर हो गयी जिसके लिये क्षमा चाहती हूँ । आप सब की दया से अब ठीक हूँ।एक आध घंटा रोज़ बैठने की कोशिश करूँगी। बहुत समय से कुछ लिखा भी नही है लगता है जैसे कुछ लिख ही नही पाऊँग....

हाज़िर जी 25 Oct 2011 | 03:23 pm

 बहुत दिन से अस्वस्थ रहने के कारण ब्लाग जगत से दूर रही। लेकिन ध्यान हर वक्त ब्लाग जगत मे ही रहा। आप सब की दुआ मेरे साथ थी, कितने लोगों के मेल और टेलिफोन आये सच कहूँ तो जब भी किसी का फोन आता तो आँखें....

गज़ल 25 Jul 2011 | 03:34 pm

गज़ल कुछ पा लिया कुछ खो लिया फिर बेतहाशा रो लिया आंखों से जब आंसू गिरे तो ज़ख्म दिल का धो लिया फिर भी हुयी मुश्किल अगर आँचल मे माँ की सो लिया दुश्वारियों का बोझ भी जैसे हुया बस ढो लिया जिस...

गज़ल 27 Jun 2011 | 03:00 pm

गज़ल ये गज़ल --http://subeerin.blogspot.com/{ गज़ल गुरुकुल} के मुशायरे मे शामिल की गयी थी\ गुरूकुल की छात्रा न होते हुये भी मुझे सुबीर जी जो सम्मान देते हैं और मुझे इन मुशायरों मे शामिल करते हैं उसके लिय...

गज़ल 17 Jun 2011 | 02:49 pm

गज़ल जुलाई 2010 मे इस गज़ल पर  कदम दर कदम------  http://kadamdarkadam.blogspot.com/ { तिलक भाई साहिब }के ब्लाग पर विमर्श हुआ था। जिस से ये गज़ल निकल कर सामने आयी थी। ये तिलक भाई साहिब को ही समर्पित हैीआ...

Untitled 7 Jun 2011 | 03:34 pm

गज़ल आज फिर से ब्लाग पर आते हुये खुशी सी महसूस हो रही है\ मै तो उमीद छोड बैठी थी कि अब शायद ऊँगली काटनी ही पडेगी । लेकिन एक दिन श्रीमति संगीता पुरी जी , [गत्यात्मक ज्योतिश वाले ]से अपनी तकलीफ कही तो उन...

Untitled 11 May 2011 | 02:34 pm

टिप्पणी व्यथा{ क्या व्यर्थ जा रहे हैं तारीफ मे लिखे कमेंन्ट} इस से पहली पोस्ट मे मैने  ज़ाकिर अली रजनीश जी का टिप्पणियों के बारे मे आलेख  पोस्ट किया था और सब  के कमेन्ट पढ कर iइस नतीजे पर पहुँची कि एक...

Untitled 8 May 2011 | 04:55 pm

क्या व्यर्थ जा रहे हैं तारीफ में लिखे कमेण्ट ? आप सब कया सोचते हैं इसके बारे मे। अपने विचार जरूर दें ये आलेख श्री ज़ाकिर अली रजनीश जी के ब्लाग से लिया है। कमेन्ट्स को ले कर ब्लाग जगत मे दुविधा और खींच...

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