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क्यों होता है ऐसा? 9 Aug 2013 | 01:17 pm

इतनी खुशियां क्यों पल भर में सिमट जाती हैं? क्यों ऐसा होता है जब कोई आपसे दूर होता है? क्यों लगता है ऐसा कि आप कुछ कहना चाह रहे थे और कह न सके? क्यों ये दिल धड़कता है किसी के लिए? क्यों थम जाती हैं सा...

मायने बदल रही जिंदगी 28 Jul 2013 | 09:52 pm

बूढ़ी काकी कहती है-‘खुद से पूछ रही हूं जाने कितने सवाल। सच में जिंदगी के मायने बदल रहे हैं। उड़ती और गोते लगाती जिंदगी, बस यूं ही चलती जा रही है। एक मुस्कान जो महकते फूलों की तरह सजी है किसी कनेर के प...

किताब का आइडिया पड़ा फीका 24 Jul 2013 | 10:22 pm

मुझे समझ नहीं आ रहा कि मच्छरों को कैसे भगाया जाये। सारे जतन किये, लेकिन निराशा ही हाथ लगी। हम इंसानों का जिंदगी भर में लीटरों खून पी जाते हैं ये मच्छर। इनका खून करने में हमें कोई हैरत नहीं होती। जब मौ...

तिगरीधाम से गंगा की तस्वीरें 22 Jul 2013 | 09:07 pm

Pics of Tigri Dham by Harminder Singh for Gajraula Times.

परीक्षायें हद करती हैं 21 Jul 2013 | 09:03 pm

मेरी परीक्षायें कभी खत्म नहीं होंगी। ऐसा मैं नहीं, लोग कहते हैं। उनका कहना है,‘तुम जिंदगी भरी एक्जाम ही देते रहोगे क्या?’ मेरा जबाव मुस्कान ही होता है। या फिर कभी-कभार कह देता हूं कि परीक्षायें हमें न...

गंजा होने का सुख 20 Jul 2013 | 05:56 pm

लोग इसलिए परेशान हैं क्योंकि उनके बाल गिर रहे हैं या वे कम होते जा रहे हैं। हमारे यहां के एक नेता ने अपना सिर ही मुंडवा दिया। उनका तर्क था कि मोदी के विरोध में यह किया गया है। उनसे किसी ने यह नहीं पूछ...

ये मौसम जानलेवा है! 19 Jul 2013 | 09:04 pm

गजरौला का मौसम बदलता जा रहा है। बादल छंटने का नाम नहीं ले रहे। जब मौका मिल जाता है बरसने लगते हैं। कई दिन से ऐसा हो रहा है। नमी और सीलन ने परेशान कर दिया है। मेरी लगभग सभी किताबों के पन्ने नमी के शिक...

ये दिन ऐसे ही बीतते रहेंगे 12 Jul 2013 | 10:06 pm

कभी-कभी खुद से हताशा बहुत होती है। इस कदर होती है कि सोचना भी मुश्किल हो जाता है। यह जीने का तरीका है या जिंदगी एक बोझ की तरह हो गयी है। दिमाग अपना संतुलन खोता जा रहा है या मैंने उसे ऐसा बनने पर मजबूर...

क्या यही जिंदगी है? 16 Jun 2013 | 01:56 pm

दर्द भरे अल्फाजों का जिक्र मैं करना नहीं चाहता। जिंदगी बेनूर भी लगती है। मगर एक खूबसूरती सिमटी है यहां भी। एक अनोखी अदा जिसका कायल हुआ है सारा जहां। खिलती हुई कलियों को सिराहने रखने से चीजें मुक्कमल ह...

जीवन के अनुभव भविष्य के लिए 5 Jun 2013 | 09:42 pm

 प्रिय अंजलि.... पता नहीं चल रहा कि किस तरह क्या लिखा जाये। यह कुछ-कुछ संशय में डालता है। खुद को मालूम नहीं होता कि क्या किया जा रहा है, लेकिन हैरानी का ऐसा मौसम है जिसकी हवा से बचना मुश्किल लगता है।...

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