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कश्मीर - 25 Aug 2013 | 03:26 pm

 मंजु मिश्रा बंद कर दो खिड़की दरवाजे इन हवाओं में दम घुटता है .... गए वो दिन जब महका करती थीं यहाँ फूलों की वादियाँ अब तो बस हर ओर से आती है एक ही गंध बारूद की ....... गए वो दिन जब होती थीं र...

शुभकामनाएँ ! 21 Aug 2013 | 10:51 am

शुभकामनाएँ हमारी ऊर्जा हैं ,शक्ति हैं! आज के दिन निश्चय करें कि सब एक -दूसरे के लिए  सहायक बने , सहयोगी बनें!! 1-अनिता ललित मेरे प्यारे भैया! मैं हुई निहाल.... पाकर आप -सा भाई महान ! आपका स्नेह,...

पावन एक मन 20 Aug 2013 | 07:35 am

सभी बहनों को रक्षाबन्धन की कोटिश: बधाइयाँ ! सबका जीवन सुखमय हो !! रामेश्वर काम्बोज- हिमांशु’ 1 भले दो तन पावन एक मन भाई -बहन । 2 आँच न आए जीवन में ज़रा-सी भाई की दुआ । -0- 20 अगस्त-2013 ज...

सावनी हाइकु 19 Aug 2013 | 01:33 pm

नीला नभ .. दूर क्षितिज पर  आँचल लहराती चली आ रही  मेघा रानी ,  पेड़ों के पीछे छुपा है नटखट पवन... अरे ये तो मेघा रानी को दौड़ा रहा है ...ये क्या दौड़ते - दौड़ते मेघारानी  तो नकचढ़ी बिजली से टकरा गई......

गड़ती कीलें 15 Aug 2013 | 09:55 pm

कमला निखुर्पा 1 आजादी - पर्व है भारतवासी को देश पे गर्व । 2 उड़ता मन विस्तृत नभ में तिरंगे- संग । 3 गाए अवाम एक सुर में आज वन्देमातरम् । 4 लगाए गश्त चौकस हैं  निगाहें सीम...

पूछे बिटिया- 15 Aug 2013 | 06:22 pm

सुशीला शिवराण 1 देश स्वाधीन शौर्य हुआ है पंगु आदेश बिन । 2 सशस्त्र फौजी खुद की रक्षा हेतु स्वीकृति माँगे । 3 पूछे बिटिया- कब देगी आज़ादी मुझे सुरक्षा । 4 मुल्क आज़ाद पाबंदी की जंजीरें औरतें कै...

जटिल प्रश्न 8 Aug 2013 | 07:04 pm

डॉ कविता भट्ट डॉ0 कविता भट्ट दर्शनशास्त्र विभाग,हेमवती नन्दन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर ‘गढ़वाल' उत्तराखण्ड 1-जटिल प्रश्न पर्वतवासी का शिवभूमि बनी शवभूमि अहे! मानव–दम्भ के प्रासाद ब.....

यादों के द्वार 5 Aug 2013 | 11:35 pm

गीत डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा रस भरे गीतों की छाई बहार , धीरे से खोल गई यादों के द्वार । चूल्हे पे  छोटी-छोटी रोटी पकाना अम्मा का हौले से देख मुस्कुराना दादी का प्यार लगे देंगी जग वार धीरे से खोल गई...

हाँ,इन्कार है मुझे ! 2 Aug 2013 | 09:55 am

सुशीला श्योराण ’शील’ मैंने - तुम्हारी दुनिया में आ खोलीं आँखें कितनी जोड़ी हुईं निराश आँखें । कैसे कह देती है कुहुकती कोयल को बोझ ये दुनिया रुनझुन उठते कदमों से कैसे उगती हैं चिंताएँ हर इंच बढ़ते कद...

मंजुल भटनागर की दो कविताएँ 28 Jul 2013 | 05:24 pm

मंजुल भटनागर  की दो कविताएँ 1-पेड़ की दुनिया मंजुल भटनागर वो जो देते हैं साया चिड़ियों को घर बनाने का वो उस घर का किराया नहीं लेते यह पेड़ ही हैं ----- जो बसा लेते हैं पूरी दुनिया अपने साये तले पर ...

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