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लिखना जरूरी क्यों है? 16 Aug 2010 | 02:41 am

जब से ब्लॉगिंग से अल्पविराम(?) लिया है तब से कई मित्रों, पाठकों, शुभचिंतकों ने कई तरीकों से उलाहना दिया है कि मैं लिखता क्यों नहीं। बीच में ऐसे ही कुछ उलाहने सुनने के बाद आने का मन बना लिया था लेकिन ए...

महबूबा ..महबूबा .. 29 Jul 2009 | 04:32 pm

यदि इस पोस्ट का टाइटल पढ़कर आपको फिल्म शोले की याद आ जाये तो इसमें मेरा कोई कसूर नहीं है, लेकिन मैं ना तो आज आपको फिल्म शोले का गाना सुना रहा और ना ही अपनी महबूबा के बारे में बता ‘सच का सामना‘ कर अपने ...

रुका हूँ …चुका नहीं हूँ… 28 Jul 2009 | 05:54 pm

इस ब्लॉग पर कुछ भी लिखे हुए एक साल से ऊपर हो गया है। इस बीच ना जाने कितने नये ब्लॉग आ गये होंगे.. कितने इस ब्लॉगजगत से उकता कर जा चुके हौंगे..लेकिन मैं ना तो उकताया हूँ ना ही ब्लॉग से बोर हुआ हूँ। हाँ...

कोई दीवार सी गिरी है अभी 18 Jul 2008 | 12:57 pm

सरकस में करतब दिखाने वाली लड़की तने हुए तार पर चलती है। लेकिन क्या बात है, वो तो अपने आप को खुली छतरी से संतुलित करती रहती है। जरा डगमगा कर गिरने लगती है तो दर्शक पलकों पर झेल लेते हैं।

नराई हरेले की 16 Jul 2008 | 05:03 pm

कका बालकनी में बैठे हुए सामने पार्क में खेलते हुए बच्चों को देख रहे थे.साथ ही पातड़ा (पंचाग) भी देख रहे थे. मैने उनसे पूछा. "कका.. पंचाग में क्या देख रहे हो..? " "अरे देख रहा था हरेला कब है. भोल (कल) ह...

मुगल वंश हो तो ऐसा 27 Jun 2008 | 01:33 pm

झुग्गी और कीचड़ देखकर उन्हें अचानक ख़याल आया कि मेरी शिकायत पर इस व्यक्ति को अगर जेल हो भी जाये तो इसके तो उल्टे ऐश हो जायेंगे। मौलाना पर फेंकने के लिये लानत-मलामत के जितने पत्थर वो जमा करके आये थे, उन ...

"दैनिक भास्कर" में "विस्फोट" 20 Jun 2008 | 04:27 pm

कुछ समय पहले समकाल में संजय तिवारी जी का लेख छ्पा था जिसमें उन्होने हिन्दी ब्लॉग जगत के बारे में लिखा था. उसके बाद भी वह कुछ समय तक समकाल में लिखते रहे. पिछ्ले कई महीनों से वह अपने अलग डोमेन पर चले गय...

कौन किसका खाना है? 15 Jun 2008 | 02:06 pm

अकेलेपन का साथी इस क़िस्से से हमने उन्हें सीख दिलायी। क़िबला ने दूसरे पैंतरे से घोड़ी खरीदने का विरोध किया। वो इस बात पर ग़ुस्से से भड़क उठते थे कि बिशारत को उनके चमत्कारी वजीफ़े पर विश्वास नहीं। वो ख़ासे गल...

कुत्तों के चाल चलन की चौकीदारी 13 Jun 2008 | 12:39 pm

किसी शुभचिंतक ने उन्हें सलाह दी थी कि जिस घर में कुत्ते हों, वहां फ़रिश्ते, बुजुर्ग और चोर नहीं आते। उस जालिम ने यह न बताया कि फिर सिर्फ़ कुत्ते ही आते हैं। अब सारे शहर के बालिग़ कुत्ते उनकी कोठी का घेरा...

घोड़े का इलाज जादू से 8 Jun 2008 | 02:09 pm

जादू मंत्र द्वारा उपचार रिश्वत और मालिश की रक़म अब घोड़े की क़ीमत और उनकी सहनशक्ति की सीमा को पार कर चुकी थी। पकड़-धकड़ का सिलसिला किसी प्रकार समाप्त होने में नहीं आता था। तंग आकर उन्होंने रहीम बख़्श की जब...

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