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सांस्कृतिक उग्रभक्ति और साहित्यः सत्य पी. मोहंती 9 Jan 2013 | 02:33 am

प्रो. सत्य पी. मोहंती से रश्मि दुबे भटनागर और राजेन्द्र कौर की बातचीत मूल अंग्रेजी से अनुवाद: राजशेखर पाण्डेय  यह साक्षात्कार अक्टूबर-नवंबर २०११में लिया गया था. दोनों साक्षात्कारकर्ता अमेरिकी विश्विद्...

Freedom is a Slippery Fish (An Introduction to the Lead Feature): Trisha Gupta 6 Jan 2013 | 10:59 pm

Freedom is one of those words. As the cornerstone of our conception of democracy and of modernity itself – or simply as the easiest answer to what so many of us think we aspire to in our political and...

काव्य रहस्य और सौंदर्य के भयावह फूल: ‘टूटी हुर्इ बिखरी हुर्इ” का एक स्त्रीवादी पाठ – सविता सिंह 5 Jan 2013 | 11:20 am

कभी-कभी कुछ बातें कहनी ही पड़ती हैं चाहे वह कितनी ही कठिन हों. और कहने की मुश्किल किसी तरह से कम नहीं होती बात कह देने से, क्योंकि जो कहा जाना है उसका अस्तित्व ‘कहे जाने में है–’कैसे कहूँ वो बात जो कह...

कमाटीपुरा की अम्मा (पुस्तक-अंश): एस. हुसैन जैदी 3 Jan 2013 | 03:00 pm

अनुवाद- प्रभात रंजन एक वेश्या का जन्म उसे जबरदस्ती लाल, दुल्हन का जोड़ा पहना कर एक बिस्तर पर बिठाया गया जिसके ऊपर खूब सारी गुलाब की पंखुडियां बिखरी हुई थीं. उसके होंठों को सुर्ख लाल रंग से रंग दिया गय...

आज़ाद उम्र: The Age of Freedom 2 Jan 2013 | 02:36 am

बच्चों द्वारा और बच्चों के लिए लिखी गयी हिंदी कविताएँ और कहानियाँ Hindi prose and poetry for children and by children

बोधिसत्व की दो कविताएँ 12 Dec 2011 | 12:52 pm

क्या इसीलिए जन्मा राम के अवध में कुछ आवाजें आ रही है इन आवाजों में घुले हैं कई स्वर कभी लगता है कि ये बहुत दूर से आ रही आवाजें हैं कभी लगता है कि घर में ही उठ रही है यह आवाज या घर के पीछे का कोलाहल है...

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