Samwaad - hr.samwaad.com - हमराही (कविता की दुनिया)

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'हमराही' के नये पते के सम्‍बंध में सूचना... 9 Feb 2013 | 08:45 pm

प्रिय पाठक, ब्‍लॉग पर पधारने का शुक्रिया। आपको हम अवगत कराना चाहते हैं कि तकनीकी कारणों से 'हमराही' ब्‍लॉग नए डो‍मेन पर शिफ्ट हो गया है। यदि 5 सेकेण्‍ड में परिवर्तित पते वाला पृष्‍ठ स्‍वत: नहीं खुलता...

जागो पहरेदार, लुटेरे आए हैं... 6 Jan 2013 | 11:41 am

लुटेरे आए हैं... -रजनीकांत शुक्‍ल जागो पहरेदार, लुटेरे आए हैं। हाथ करो हथियार, लुटेरे आए हैं। बहुत सो लिए कुंभकर की निद्रा में, अब न करो तुम प्‍यार लुटेरे आए हैं। दो रंगा है खून, दोमुंही बातें हैं,...

जज़्बात कोई खेल दिखाने का फ़न नहीं! 1 Dec 2012 | 02:37 pm

जज़्बात कोई खेल दिखाने का फ़न नहीं -रमेश तैलंग दुःख दर्द की मिठास को खारा नहीं बना. खामोशी को ज़ुबान दे, नारा नहीं बना. जिसने जमीन से लिया है खाद औ’ पानी उस ख्वाब को फ़लक का सितारा नहीं बना. वो बेज...

नाम बड़े दर्शन छोटे: काका हाथरसी 2 Aug 2012 | 10:54 am

नाम बड़े दर्शन छोटे -काका हाथरसी नाम-रूप के भेद पर कभी किया है गौर? नाम मिला कुछ और तो, शक्ल-अक्ल कुछ और शक्ल-अक्ल कुछ और, नैनसुख देखे काने बाबू सुंदरलाल बनाए ऐंचेताने कहँ ‘काका’ कवि, दयाराम जी मारें...

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