Shraddhanjali - shraddhanjali.in - ऊँ शान्ति | श्रद्धांजलि | ऊँ शान्ति

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Wo Desh Ki Beti….! वो देश की बेटी…/सुनील वर्मा 30 Dec 2012 | 10:03 am

मुझे श्रद्धांजलि नहीं चाहिए… एक वादा चाहिए तुम सबसे… कि दुनिया की हर बेटी में मुझे देखना… मेरी पीड़ा मत भूलना तुम…. याद रखना… कि जिंदा हूँ मै… जिन्दा हू शहर की जगमगाती रोशन गलियों में… सरपट दौड़ती हर उ...

२६/११ के शहीदों की याद आयी/के.सी.वर्मा 28 Nov 2010 | 04:20 am

आज फिर याद जहन में २६/११ का मंजर आया , करने छलनी सीना सरहद पार से खंजर आया । बीती थी इक सुहानी रात नव प्रभात फूटा था , मुंबई की उस सुबह को वहसी- दरिंदों ने लूटा था । बे-गुनाह निहत्थे लोगों पर पिशा...

From the Editors desk/ संपादक की कलम से.. 26 Nov 2010 | 02:35 am

Dear Respected Sir/Madam, We present to you the website ‘http://shraddhanjali.in‘ (‘Shraddhanjali’ means ‘Tribute’ in Hindi) which has been started to pay tributes to them who left us for ever!. This...

From the Editors desk/ संपादक की कलम से.. 25 Nov 2010 | 06:35 pm

Dear Readers, We present to you the website ‘http://shraddhanjali.in‘ (‘Shraddhanjali’ means ‘Tribute’ in Hindi). Aim of ‘Shraddhanjali’ is to  pay tributes to them who left us for ever and remember t...

अब सिर्फ देह नहीं रही माँ/बलराम अग्रवाल 23 Nov 2010 | 02:40 am

अब सिर्फ देह नहीं रही माँ पहले भी सिर्फ देह वह थी ही कब? वह सु-संस्कार थी अब भी है और रहेगी आगे भी वह जुझारूपन थी अब भी है और रहेगी आगे भी समरांगण में साक्षात विजय थी वह अब भी है और रहेगी ...

मातृभूमि के लिए/राजेश कुमार “नचिकेता” 23 Nov 2010 | 12:23 am

ये कविता उन वीरो कि इच्छा है जिन्होंने देश के लिए जान दी है और जो देश में सैनिको के साथ होने वाले व्यापार और राजनीति से व्यथित और सताए हुए हैं | मातृ-अंक रख अपना मस्तक जब अंतिम साँसें ली थी जनम सफल ...

अब सिर्फ देह नहीं रही माँ/बलराम अग्रवाल 22 Nov 2010 | 09:40 pm

अब सिर्फ देह नहीं रही माँ पहले भी सिर्फ देह वह थी ही कब? वह सु-संस्कार थी अब भी है और रहेगी आगे भी वह जुझारूपन थी अब भी है और रहेगी आगे भी समरांगण में साक्षात विजय थी वह अब भी है और रहेगी आगे भी। वह ग...

मातृभूमि के लिए/राजेश कुमार “नचिकेता” 22 Nov 2010 | 07:23 pm

ये कविता उन वीरो कि इच्छा है जिन्होंने देश के लिए जान दी है और जो देश में सैनिको के साथ होने वाले व्यापार और राजनीति से व्यथित और सताए हुए हैं | मातृ-अंक रख अपना मस्तक जब अंतिम साँसें ली थी जनम सफल मा...

मत कहो…कि मर गया हूँ मैं/सुनील वर्मा 5 Nov 2010 | 01:29 pm

मत कहो…कि मर गया हूँ मैं… मरा नहीं हूँ… स्थिर हो गया हूँ… बोल नहीं सकता हूँ बस… देख सकता हूँ…सुन भी सकता हूँ तुम्हारी बातें… मत कहो कि मर गया हूँ मै… क्योकि मैं जीवित हूँ आज भी…! ध्यान से देखो…...

सब कुछ नया होगा…इस बरस/सुनील वर्मा 5 Nov 2010 | 01:28 pm

इस बरस… देखना तुम….सब कुछ नया होगा…! ऐसे क्यों देख रहे हो मुझे… ठीक ही तो कह रही हूँ… गलत क्या कहा है मैंने… नया ही तो होगा…! जब आएगी दीवाली… तो खूब पटाखे चलाना तुम… उड़ाना रंगीन आतिशबाजियां…. ...

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