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हदों की हद … 21 Aug 2013 | 09:42 pm

हदों में रहने वाले सरहदों की हदों से हैरान हद फिर भी मिटती नहीं सरहदों की हदों पर। हद ही है कि हद की  सीमा न रही कोई हद कर दी हदों ने, हदों में रहने वालों पर। बेचैन हो रही हद अब, अपनी ही हदों से ...

हैपी इंडिपेंडेंस डे ! 13 Aug 2013 | 04:29 pm

कितना आसान है ना, स्वतंत्रता दिवस मनाना। एक आयोजन, कुछ भाषण, झंडारोहण साथ ही जन – गण – मन और रंगों से भरे तिरंगे को लहरा देना। किस तरह देश आजाद हुआ कितनी कुर्बानियां शहीदों ने दीं कैसे अंग्रेज़ी ...

बात आँखों से आँखों को करने दो… 6 Aug 2013 | 12:59 pm

इश्क़ की तपिश को इनमें भरने दो, बात आँखों से आँखों को करने दो।। क्या दिल में छिपी है पता तो चले, ज़रा गहरे में तो दिल के उतरने दो।। खोये तुझमे हैं ऐसे न जहाँ की ख़बर, टूटकर आज बाज़ुओं में बिखरने ...

तुम्हारे लिए ! 30 Jul 2013 | 11:33 am

क्या लिखें अब हम तुम्हारे लिए हर शब्द, निःशब्द तुम्हारे लिए। आँखों में बसे हो जज़्ब भी कहीं और क्या हम कहें तुम्हारे लिए। ये रिश्ता है क्या मालूम तो नहीं ह्रदय से उपजा जो तुम्हारे लिए। अज़ीज़ हो...

मंजिलें हैं अभी और भी… 23 Jul 2013 | 12:01 pm

बदलता है दौर भी बदलता है ठौर भी। बदलते ज़माने में बदलते हैं तौर भी। मिज़ाज पर मौसम के रक्खो ज़रा गौर भी। जद्दोजेहद ज़िंदगी की बदलती है कौर भी। थकना नहीं रुकना नहीं मंजिलें हैं अभी और भी।

ज़िंदगी का तो मकसद फैलाना रिफ़ाह है। 17 Jul 2013 | 01:55 pm

माना हर आँख में यहाँ अश्क़-ए-तिम्साह है, शिआर-ए-मुसव्विर उकेरना खालिस निगाह है। कूँची में भरे रंग बस कहते हैं यही सबसे, ज़िंदगी का तो मकसद फैलाना रिफ़ाह है। सब बह चले उधर हैं जिस तरफ़ है हुकूमत, ...

चाँद … 15 Jul 2013 | 10:18 am

इतरा कर चाँद का यूँ  मौन पुकारा है सब आशिक हमारे हैं कौन तुम्हारा है। हर नूर हम से बरसे कि नूर ही हैं हम चिलमन से न छुपे ऐसा रूप हमारा है। चाँदनी हमी से रौशन है इस जहाँ में शफ्फाफ़ बदन भी हमी को ...

तुझे याद करते-करते ग़ज़ल मैं लिखूँ 11 Jul 2013 | 08:22 am

तुझे याद करते -करते कोई ग़ज़ल मैं लिखूँ तेरे साथ गुज़रा लम्हा हर एक पल मैं लिखूँ. ये दौर किस तरह का,कौन बताएगा यहाँ हर शख्स की बदलती हुई शकल मैं लिखूँ। इक रोज़ तो मिला था वो आप ही खुद से उस रोज़ ...

क्या पुकारूँ तुम्हें … 5 Jul 2013 | 02:53 pm

तुम भी तो होगे किसी की आँखों के तारे होगे अरमान किसी का बनोगे ज़िंदगी के सहारे आज दिल करा चूम लूँ तुम्हारा माथा फँसा दूँ अपनी उंगलियाँ तुम्हारे भूरे लेकिन घुँघराले बालों में तुम दिखे थे बस एक ...

चाह बन जाऊॅं 26 Jun 2013 | 10:28 pm

Reblogged from हृदयानुभूति: दिल आज बस ये चाहे,कि चाह बन जाऊँ गर मिल सको तुम,बस तुम्हें गले लगाऊँ, वेदना है जितनी सब समेट लाऊँ आँचल में तुम्हें कुछ इस तरह छिपाऊँ दर्द को तुम्हारे मै स्वयं पी जाऊँ ...

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