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छद्म लोकतंत्र और भ्रष्ट लोकतान्त्रिक मूल्य 16 Aug 2011 | 01:57 pm

अब लग रहा है कि भ्रष्टाचार को लेकर सारा देश आंदोलित है। जब हाड़तोड़ मेहनत कर बड़ी मुश्किल से अपने घर का खर्च चलाने वाला आम आदमी भ्रष्ट राजनेताओं और अधिकारियों के पास करोड़ों की दौलत देखता है तो देश की...

तब और अब 24 Sep 2010 | 08:19 pm

तब दोस्तों से घंटो बाते होती थी, अब मोबाइल SMS से हाय हैलो होती है तब क्रिकेट का बैट हाथ में होता था और सड़क पर क्रिकेट खेलने लग जाया करते थे, अब लेपटोप और मोबाइल साथ में होता है और सड़क पर ही टिपियाने...

सफलता का मूलमंत्र... 14 Sep 2010 | 06:06 pm

आज के आधुनिक युग में हमने खोया ज्यादा है और पाया कम. इस शास्वत सत्य के बारे में मैंने अपनी पिछली पोस्ट में लिखा था. इन सबका मुख्य कारण ये है कि हम आज की इस आपाधापी में न केवल अपने आप को जडो से काट चु...

सोचो तुमने और मैंने क्या पाया इंसान बन के... 9 Sep 2010 | 02:42 pm

कहते है कि मानव जीवन अमूल्य है, इसे प्राप्त करना सहज नहीं है लेकिन क्या हमने सोचा कि आज की इस आपाधापी में हमने इंसान बन कर क्या पाया है. आइये जरा इसका हिसाब करके देखते है : आज हमारे पास बड़ी बड़ी इमारत...

जीमेल का नया प्रायोरिटी इन्बोक्स 3 Sep 2010 | 09:58 pm

गूगल हमेशा ही कुछ नया कर दिखाने में अग्रणी रहा है. इसी तर्ज पर चलते हुए गूगल ने हाल ही में जीमेल में एक नई विशेषता जोड़ी है और जिसका नाम दिया है "प्रायोरिटी इन्बोक्स" . अगर आप लोग जीमेल का इस्तेमाल कर...

क्यों पाले हम आस्तीन में सांप 20 Aug 2010 | 08:00 pm

बचपन में जब कहावत सुना करते थे तो कभी अहसास ही नहीं हुआ की हमारे पूर्वज लोगो ने इनमे कैसे "गागर में सागर" भर इन एक दो पंक्तियों से कितने ज्ञान की बाते आने वाली पीढ़ी के लिए लिख छोड़ी है. आपने और हम सब...

कैसे बने हमारे सपनो का भारत 23 Jul 2010 | 06:30 pm

हिंदी ब्लॉग जगत पर वैसे तो कई दिग्गज और धुरंधर है जो अपनी लेखनी से अपने विचारों का नियमित रूप से प्रसार करते है। राजीनीति, धर्म, यात्रा, संस्मरण आदि सब विषयों पर अक्सर कुछ सार्थक गद्य और पद्य पढ़ने को ...

चिंगलिश यानि चीनी इंग्लिश 23 Jul 2010 | 06:16 pm

पिछले पोस्ट में मैंने ये दिखाया था कि कैसे हम भारतीय खुद अपनी मातृभाषा की दुर्गति कर रहे है। आइये आज देखे कि चीन में जहाँ इस समय दुनिया में सबसे ज्यादा लोग अंग्रेजी लिख पढ़ना सीख रहे है वहाँ पर अंग्रेज...

दुर्गति हिंदी की 6 May 2010 | 06:15 pm

कहने को तो हिंदी हमारे देश की या यूँ कहें उत्तर भारत की भाषा है आज तक हिंदी को भी राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं प्राप्त हुआ। हो भी कैसे, हिंदी भाषी क्षेत्रो में ही हिंदी दुर्गति की शिकार है। यकीन नहीं होत...

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